मंज़र की चाहतों पर, पहरा समाज क्यों है ? मंज़र की चाहतों पर, पहरा समाज क्यों है ?
कोशिश कर रहा हूँ मैं तुम्हे भूलने की। जीवन शून्य को भरने की उत्पन्न हुआ है जो तुम्हारे चले जाने से। कोशिश कर रहा हूँ मैं तुम्हे भूलने की। जीवन शून्य को भरने की उत्पन्न हुआ है जो तु...
एक दूसरे की न साथ छोड़े हम आओ आपस मे प्यार करे हम। एक दूसरे की न साथ छोड़े हम आओ आपस मे प्यार करे हम।
शब्द भी लिखे पुरुष के त्याग भाई के पवित्रता और निश्छल पिता के प्रेम पे। शब्द भी लिखे पुरुष के त्याग भाई के पवित्रता और निश्छल पिता के प्रेम पे।